Zara Khud Ko


ज़रा खुद को तू पहचान ले रे, 


दिल का कहा मान भी ले। 




क्यूँ करता है, तू दुनिया की फिकर, 


कभी खुद की भी कर ले रे। 




ज़रा खुद को तू पहचान ले रे, 


दिल का कहा मान भी ले। 




मिले ठोकरें भी सफर में तो क्या ??


फिर रास्ते भी तो दिखते है,


साफ - साफ रे। 




ज़रा खुद को तू पहचान ले रे, 


दिल का कहा मान भी ले। 




क्यूँ डरता है, तू खुद को खोने से, 


खुद को खोकर भी पाना तो पाना है, रे। 




ज़रा खुद को तू पहचान ले रे, 


दिल का कहा मान भी ले। 




क्यूँ करता नहीं तू दिल की रे... 


क्यूँ करता नहीं तू दिल की रे...


ज़रा खुद को तू...


ज़रा खुद को तू...


ज़रा खुद को तू...


पहचान ले  रे...


🌟 अंजलि सिंह 🌟


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Comments

  1. aai musafir khud ko tu phchan le re...dil ke awaz dabne na de re....varna pachtayega to hardum re.....Bahut khoob pangtiyan likhi hai aapne...dil baag baag ho gaya.

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